सफलता की कहानी-बांसवाड़ा: आदिवासी बिजिया के कुएं में निकला पानी, आंगन तक पहुंची बरकत

बांसवाड़ा जिले के असिंचित क्षेत्र जहां वर्षा के पानी पर निर्भर ग्रामीणजन आज मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की बदौलत व्यक्तिगत कूप निर्माण कर असिंचित क्षेत्र को सिंचित करने में लगे हुए हैं और कुओं का निर्माण कर अपने खेतों में कुओं के पानी से सिंचाई कर साग.सब्जियाें व फलों का बगीचे एवं मूंग दाल का उत्पादन कर आजीविका के स्रोत को बढ़ा रहे हैं। जल स्वावलम्बन अभियान के तहत सज्जनगढ़ क्षेत्र के कसारवाडी के बिजिया पुत्र कीका डामोर ने अपने खेत के पास नरेगा योजना में 3 लाख रुपए की लागत से व्यक्तिगत कूप स्वीकृत करवाया गया है। यह बिजिया के लिए कूप खुशहाली का पैगाम लेकर आया है और कुएं में पानी आ जाने से परिवार के हर सदस्य खुश है और कह रहा है कि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की बदौलत आज हमारे घरों में पीने के पानी व सिंचाई के लिए भरपूर जल उपलब्ध है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। पहले तो पानी की इतनी किल्लत थी कि पीेने का पानी दूर.दूर से लाना पड़ता था और इस भीषण गर्मी में तो रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता थाए पर आज स्थिति बिल्कुल बदल गई है और इस भीषण गर्मी में घर बैठे कुए के पानी की बदौलत साग.सब्जियों.फलों का उत्पादन कर आमदनी प्राप्त कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं।

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बिजिया के बगीचे में चीकूए पपीताए अमरूदए नीबू आदि के फल प्रचुर मात्रा में लग हुए हैं। उसने बताया कि कूप में बंधाई का कार्य आगामी पखवाडे़ में पूर्ण करवा लेंगे। कसारवाडी के बिजिया डामोर ने बताया कि घर बैठे मेरे घर में गंगा आ गई है और मैं और मेरा परिवार तो धन्य हो गया। आज मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत स्वीकृत कुएं ने तो उसके परिवार की तकदीर ही बदल दी है। कूप में पानी के आ जाने से उनके जीवनयापन में ही खुशहाली ही नहीं आई है बल्कि पशुधन को भी उसका पूरा पूरा लाभ मिल रहा है। मैं तो धन्य हो गया और इस सरकार का भी धन्यवादए जिसने घर बैठे जल संरक्षण के काम करवा कर हमारी तो पीढ़ियों को जीवनयापन करने का सहारा दे दिया इसके लिए मैं तहेदिल से उनका आभारी हूं।

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