समाज के अन्तिम व्यक्ति का कल्याण ही भामाशाह योजना का उद्देश्य
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति व्याख्यान
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर अमल करते हुए राज्य सरकार समाज के अन्तिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना चाहती है। भामाशाह योजना जैसे गरीबोन्नमुखी कार्यक्रम पण्डित दीनदयाल जी के गरीब-किसान-मजदूर के उदय के सपने को साकार करने की दिशा में की गई पहल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के सिद्धान्त में देश की बहुसंख्य आबादी किसान, मजदूर और गरीब को नजरअंदाज नहीं करने की बात कही है। इसी विचार को अपनाकर हमने अन्नपूर्णा भण्डार और अन्त्योदय जैसी योजनाएं भी लागू की हैं जिनका उद्देश्य है कि हर वंचित व्यक्ति की सरकार और समाज में भागीदारी बढ़े।
श्रीमती राजे मंगलवार को बिड़ला आॅडिटोरियम में दीनदयाल उपाध्याय स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही थीं। उन्होंने पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं एकात्म मानव-दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री महेश चन्द्र शर्मा द्वारा संकलित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वांड्मय के 15 खण्डों के प्रकाशन का लोकार्पण किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी ने मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित किया।
इस अवसर पर श्रीमती राजे ने कहा कि राज्य सरकार ने निवेश और उद्योगों के प्रोत्साहन के साथ-साथ कृषि क्षेत्र के विकास के लिए भी विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। पण्डित दीनदयाल की शिक्षाओं पर अमल करते हुए हमने किसानों की तरक्की सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट का आयोजन किया। इस आयोजन की सफलता और किसानों की मांग के चलते अब सम्भाग स्तर पर भी ऐसे आयोजन किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एकता और विविधता भारत देश की ताकत हैं। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने हमें शिक्षा दी कि देश की इस संस्कृति और परम्परा का सम्मान करके ही हम भारत का विकास कर सकते हैं।
स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल ने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय को देश के सांस्कृतिक अनुष्ठान और परम्पराओं से जुड़ा व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि पण्डित दीनदयाल जी का राष्ट्र-दर्शन पश्चिम के राष्ट्रवाद से अलग था, जो अपने समय से बहुत आगे की सोच थी और वर्तमान में प्रासंगिक है।
श्री गोपाल ने कहा कि आजादी के बाद पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने राजनीति को साध्य की बजाय साधन मानने के सिद्धान्त को अपनाया और राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि उनके जीवन और दर्शन पर आधारित सम्पूर्ण वांड्मय का प्रकाशन नई पीढ़ी को भारत के राष्ट्र-दर्शन का ज्ञान कराने वाला अद्भुत संग्रह है।
श्री महेश चन्द्र शर्मा ने अपने सम्बोधन में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय को एक युगदृष्टा महापुरूष बताते हुए कहा कि उन्होंने समाजवाद और पूंजीवाद के विकल्प के रूप में दुनिया को एकात्म मानववाद का सिद्धान्त दिया। उन्होंने कहा कि दशकों पहले पण्डित दीनदयाल जी ने द्वि-राष्ट्रवाद के जिस सिद्धान्त को नकार दिया था, उसे अपनाने के कारण ही पूरी दुनिया आज चैराहे पर खड़ी है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बताया कि जयपुर में धानक्या रेलवे स्टेशन के पास पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के भव्य स्मारक का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि देश का पहला ऐसा स्मारक 6 माह में तैयार हो जाएगा। यहां पण्डित दीनदयाल के जीवन उनके जीवन-दर्शन और उस पर हुए शोध कार्यों का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर एकात्म मानव-दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से प्रकाशित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वांड्मय की 5 हजार प्रतियां राज्य सरकार द्वारा खरीदने और विभिन्न पुस्तकालयों, संग्रहालयों आदि के माध्यम से आमजन को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराने की घोषणा की।
कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष श्री अशोक परनामी, एकात्म मानव-दर्शन प्रतिष्ठान से जुड़े प्रबुद्धजन, देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के पूर्व तथा वर्तमान कुलपति तथा अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
जयपुर, 29 नवम्बर।