जल क्रांति के बाद अब प्रदेश वन क्रांति की ओर
68 वां राज्यस्तरीय वन महोत्सव
एक ही दिन में 15 लाख पौधारोपण के लिए राज्यभर में कार्यक्रम
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान (एमजेएसए) के रूप में शुरू हुई जल क्रांति के बाद प्रदेश में वन क्रांति शुरू हो रही है। पिछले वर्ष जल संरक्षण के लिए जिस जनजागृति के साथ इस अभियान की शुरूआत हुई थी, उसे जन-जन के सहयोग से वन संरक्षण की दिशा में भी आगे बढ़ाया जा रहा है।
श्रीमती राजे सोमवार को गोविन्दपुरा बीड़ गांव में 68वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पर्यावरण को सुरक्षित भविष्य प्रदान करने के लिए जरूरी है कि हर एक व्यक्ति इस अभियान से जुड़े और अपना योगदान दे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एमजेएसए के दूसरे चरण में प्रदेश में 60 लाख पौधे लगाए जाएंगे। राज्यस्तरीय वन महोत्सव के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों, ब्लॉक एवं पंचायतों में अबतक 15 लाख पौधे लगाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने किया शावकों का नामकरण
मुख्यमंत्री श्रीमती राजे ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जन्में तीन शावकों का नामकरण भी किया। उन्होंने मादा शावक को तारा तथा नर शावकों को तेजस और त्रिपुर नाम दिए।
Tara, Tripur & Tejas – Meet the most adorable new members of the #Nahargarh Biological Park family. #MyRajasthan @my_rajasthan pic.twitter.com/qc7JeQEiRI
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) July 10, 2017
मुख्यमंत्री ने दूदू पंचायत समिति के सिरोहीकलां तथा फागी के सांवरियाकलां गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि एमजेएसए के अन्तर्गत किए गए जल संरक्षण कार्यों के कारण इस क्षेत्र में चने की उत्पादकता दोगुनी हो गई। यहां के गांवों में जहां वर्ष में एक ही फसल हो पाती थी, अब दो फसलें मिलने लगी हैं। उन्होंने कहा कि अभियान के शुरूआती तीन साल में 12000 गांव मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में कवर हो जाएंगे तथा आने वाले सालों में इस अभियान से राज्य को जल आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा।
श्रीमती राजे ने कहा कि इस अभियान में शहरी क्षेत्रों को भी जोड़ा गया है। शहरी क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त कुओं और बावड़ियों को दुरुस्त कर इस अभियान के माध्यम से पारम्परिक जल संरचनाओं को संरक्षित करने का काम किया जा रहा है। राजसमंद में राणा रणजीत सिंह की बावड़ी, हिण्डौन में जच्चा की बावड़ी और अजमेर की नाचन बावड़ी इस अभियान की सफलता के बड़े उदाहरण है।
केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जल एवं वन संरक्षण के लिए राजस्थान में जिस प्रकार के अभियान चलाए जा रहे हैं उनसे यहां का पर्यावरण तो बेहतर बनेगा ही, साथ ही ऐसे अभियान दुनियाभर के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनकर आएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी पर्यावरण बचाने के इस पावन अभियान के लिए प्रदेशवासियों को विशेष शुभकामनाएं दी हैं। प्रदेश में पौधारोपण के साथ उनकी जिओ-टैगिंग कराने के नवाचार पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पेड़ों को बचाने और पनपाने के लिए विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल किया जाना प्रशंसनीय है।
उद्योग मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत ने कहा कि हिन्दुस्तान की संस्कृति में वनस्पति का बड़ा महत्व है और इसी महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में एमजेएसए जैसा अभियान चलाया, जिसकी वजह से हरे-भरे राजस्थान की कल्पना साकार होने की दिशा में है।
इससे पहले मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बिल्व पत्र के पौधे लगाकर राज्य स्तरीय वन महोत्सव की शुरूआत की। वैदिक मंत्रोच्चार एवं विशाल जनसमूह के बीच उन्होंने मौलश्री, गूलर, पीपल, बरगद, खेजड़ी आदि के पौधे लगाए। इसके बाद श्रीमती राजे ने पर्यावरण संरक्षण संबंधी वन विभाग एवं मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, राजस्थान रिवर बेसिन अथॉरिटी के अध्यक्ष श्री श्रीराम वेदिरे, विधायक श्री अशोक परनामी, जयपुर मेयर श्री अशोक लाहोटी, भारत सरकार के वन महानिदेशक श्री सिद्धान्त दास, विधायक श्री जगदीश नारायण मीना, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण श्री एनसी गोयल तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) श्री एके गोयल सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारीगण मौजूद थे।
जयपुर, 10 जुलाई 2017