- वसुन्धरा राजे - https://vasundhararaje.in/hi -

प्रदेश का हर गांव समृद्ध बने और हर किसान हो खुशहाल

अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस

रेतीले धोरों पर कहीं कीकर तो कहीं खेजड़ी के पेड़। नजर दौड़ाओ तो कहीं भेड़-बकरियों तो कहीं गाय-भैसों के झुंड। रंग-बिरंगी आकर्षक पोशाक पहने अपनी जान जैसे प्यारे मवेशियों की परवरिश और अपने खेत-खलिहानों में जीवट के साथ काम करते ग्रामीण। राजस्थान की बात आती है, तो बरबस यह तस्वीर आंखों में तैरने लगती है। यह लाजिमी भी है क्योंकि, खेती-किसानी और पशुपालन ही हमारी रंग-बिरंगी राजस्थानी लोक संस्कृति का मूल आधार है।

हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी इसी पर आधारित है। यही वजह है कि जब भी राजस्थान की तरक्की की बात आती है तो हमारा ध्यान सबसे पहले किसानों और पशुपालकों पर केन्द्रित होता है। हमारा लक्ष्य भी यही है कि हमारा किसान संपन्न हो, समृद्ध हो और समर्थ हो। हम चाहते हैं कि हमारे किसान भाइयों और पशुपालकों की आय 2022 तक दोगुनी हो। मुझे खुशी है कि किसानों और पशुपालकों के हितों को ध्यान में रखकर हमने जो प्रयास किए उन्हें देशभर में सराहा गया है। नीति आयोग के कृषि सुधार सूचकांक में भी राजस्थान टॉप थ्री स्टेट में शामिल है।

मैं विकास के लिए परिवर्तन को जरूरी मानती हूं। वैश्वीकरण के इस दौर में जो नए शोध और अनुसंधान हो रहे हैं, कृषि क्षेत्र भी उनसे अछूता नहीं है। हमारे किसानों के पास खेती और पशुपालन का परंपरागत ज्ञान और कौशल है, लेकिन अच्छी उपज के लिए आधुनिक तकनीक की जानकारी भी बहुत जरूरी है। दुनियाभर में कृषि के क्षेत्र में जो नवाचार अपनाए जा रहे हैं हमारे किसान भी उन्हें अपनाएं। कृषि उपज के लिए जो ज्ञान हमें विरासत में मिला है, उसके साथ-साथ यदि हमारा किसान उन्नत तकनीक और नवाचारों से जुड़े तो निश्चित रूप से हमारे राजस्थान की धरती सही मायने में सोना उगलने लगेगी। जयपुर में जो तीन-दिवसीय ‘ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट-ग्राम 2016’ का आयोजन किया गया, उसका मकसद भी यही था।

राजस्थान में अपनी तरह का यह पहला आयोजन था, जिसमें हमारे किसानों को कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में दुनिया की उन्नत तकनीकों और नवाचारों से रूबरू होने का अवसर मिला। यह आयोजन एक तरह से एक साझा मंच था, जहां हमारे किसान भाइयों, पशुपालकों और देश-दुनिया से आए कृषि विशेषज्ञों के बीच सहज संवाद हुआ। इन सबने आपस में अपने नवाचार साझा किए।

‘ग्राम’ में ऑडियो-विजुअल माध्यम से कृषि एवं पशुपालन की नई पद्धतियों और नवाचारों के बारे में जानकारी दी गई। किसानों के लिए एक विशाल प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें आधुनिक कृषि बाजार, नवीनतम मशीनों और तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। कृषि के क्षेत्र में रहे नए बदलावों, बिजनेस मॉडल तथा कृषि स्टार्टअप कम्पनियों में निवेश पर चर्चा हुई। चौपालों के माध्यम से किसानों को अपने अनुभव विशेषज्ञों और दूसरे किसानों के साथ साझा करने का मौका मिला।

किसानों को अपनी उपज कम से कम समय में गोदाम तथा कोल्ड स्टोरेज तक पहुंचाने के बारे में भी जानने-समझने का मौका मिला। किसानों के उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक आसानी से कैसे पहुंचें, उनकी मेहनत का पूरा प्रतिफल कैसे मिले, छोटे किसान कैसे ई-मंडी से जुड़ें, कैसे पशुपालक वैज्ञानिक तरीके अपनाकर अपने व्यवसाय को लाभप्रद बनाएं जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ‘ग्राम’ में कृषि विशेषज्ञों, प्रगतिशील किसानों और कृषि व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलग-अलग सत्र हुए। किसानों ने इनका भरपूर लाभ उठाया।

‘ग्राम’ का उद्देश्य ही प्रदेश में कृषि एवं पशुपालन में आमूल सुधारों का सूत्रपात करना था। इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान कृषि क्षेत्र में निवेश के लिए 4400 करोड़ रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। मुझे पूरा भरोसा है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। संभवतया आजादी के 69 वरषों बाद पहली बार किसी राज्य में इस तरह का आयोजन किया गया, जिसका केन्द्र बिन्दु अन्नदाता किसान था। कृषि और पशुपालन के लिए यह आयोजन एक तरह से नई ऑक्सीजन था। किसानों की खुशहाली के लिए अब सभी संभाग मुख्यालयों पर ऐसे आयोजन किए जाएं।

राजस्थान में कृषि पर्यटन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं देखते हुए हमने यह तय किया है कि प्रदेश की नई पर्यटन नीति में कृषि पर्यटन को भी शामिल किया जाए। मेरा मानना है कि राजस्थान रहे पर्यटकों में से अगर एक प्रतिशत भी कृषि पर्यटन की ओर आकर्षित होते हैं तो हमारे किसानों को इसका लाभ मिल सकेगा। हमने यह तय किया है कि केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में स्मार्ट विलेज विकसित हों। भूमिहीन किसानों को नियमानुसार कृषि योग्य भूमि का आवंटन हो और औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाएं। इसके लिए इजराइल जैसे आधुनिक कृषि में अग्रणी देश के साथ मिलकर रोडमैप तैयार किया गया है।

आज विश्व मृदा दिवस है। अक्सर देखा जाता है कि हम अपने स्वास्थ्य की चिंता तो करते हैं, लेकिन अन्न उपजाने वाली मिट्टी के सेहत के बारे में हमें चिंता नहीं रहती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके बारे में सोचा और सॉइल हैल्थ कार्ड बनवाने की योजना शुरू की। हमारा सौभाग्य है कि राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले से सॉइल हैल्थ कार्ड योजना की लॉन्चिंग 19 फरवरी, 2015 को प्रधानमंत्री ने की। हम इस योजना का पूरा फायदा किसानों तक पहुंचाकर कृषि क्षेत्र के विकास की परिकल्पना को पूरी तरह साकार करने का प्रयास कर रहे हैं।

      Smt. Vasundhara Raje. (The writer is Chief Minister, Rajasthan)