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पहली ही बारिश में ऎतिहासिक जल स्रोतों में आया हजारों लीटर पानी, खिले ग्रामीणों के चेहरे

Vasundhara raje-Mukhyamantri Jal swavlamban Abhiyan

बीकानेर में पहली ही बरसात से ऎतिहासिक जल स्रोतों में हजारों लीटर पानी की आवक के बाद पक्षियों का कलरव, बच्चों की मौज-मस्ती और ग्रामीणों के खिले चेहरे ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ की आवश्यकता और उद्देश्य को सार्थक कर रहे हैं। वहीं जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में छितराई ढाणियों मे बने जलकुंड भी ग्रामीणों को जल स्वावलम्बी बना रहे हैं। सोमवार को आई बरसात के बाद बीकानेर के नालबड़ी की भूरोलाई तलाई का दृश्य भी कुछ ऎसा ही बन गया है। बरसात से यहां बड़ी मात्रा में जल संरक्षित हो गया है। मंगलवार को ठंडी हवाओं के बीच यहां का दृश्य अत्यंत मनमोहक बन गया था। यह स्थान किसी ‘पिकनिक स्पॉट’ जैसा लगने लगा।

तलाई के एक ओर छोटे-छोटे बच्चे झुंड बनाकर खेल रहे थे तो दूसरी ओर युवा ‘सेल्फी’ लेने में व्यस्त दिखे। मोर की पीहूं-पीहूं और प्रवासी पक्षियों की कलरव, माहौल में मिठास घोल रही थी। नाल बड़ी में रहने वाले वृद्ध मोहनराम ने तो यहां तक कह दिया कि पांच महीनों में इस तलाई का स्वरूप इतना बदल जाएगा, किसी ने सोचा ही नहीं था। उसने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को ऎतिहासिक अभियान बताया तथा कहा कि यदि यह तालाब भर गया तो गांव में पानी की समस्या ही नहीं रहेगी। ‘पहली बरसात में छलक उठा जलकुंड’ नालबड़ी के गुरूद्वारे में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अंतर्गत बना पचास हजार लीटर क्षमता वाला जलकुंड पहली ही बरसात में छलक गया।

रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर के तहत इस कुंड को बड़े पायतान और छत से जोड़ा गया था। सोमवार को हुई बरसात से यह कुंड लबालब होने के बाहर ओवरफ्लो हो गया। इसी प्रकार भूरों के बास में बने सामुदायिक जलकुंड में भी तीन चौथाई स्तर तक पानी भर गया। नेशनल हाईवे पर बना यह जलकुंड राहगिरों की प्यास बुझाने का बड़ा साधन बनेगा। साथ ही स्थानीय लोगों को भी पेयजल के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।संरक्षित होगा छत का बूंद-बूंद पानी नालबड़ी में रहने वाला मांगीलाल कुम्हार खुशी से फूला नहीं समा रहा। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा कि सरकार ने उसके घर में साठ हजार रूपये की लागत से जलकुंड बनवा दिया है और इसमें हजारों लीटर पानी संरक्षित हो रहा है।

उसने बताया कि पहले उसके घर की छत पर गिरने वाला बरसात का पानी व्यर्थ बह जाता था तो उसे बहुत दुःख होता था, लेकिन पूंजी के अभाव में वह ऎसा कर नहीं पाया। अब सोमवार को जब बादल बरसे, तो एक-एक बूंद पानी जलकुंड में संचित हो गया। सोमवार की बारिश नालबड़ी के डंड तालाब में को भी तर कर गई। गांव के ऎतिहासिक डंड तालाब में बड़ी मात्रा में एकत्र हुआ जल ग्रामीणों के लिए उपयोगी साबित होगा ही, साथ ही यह पशु-पक्षियों की प्यास भी बुझाएगा।

जयपुर, 29 जून, 2016

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