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पेयजल योजनाओं की गुणवत्ता और समयबद्धता की नियमित निगरानी करें

जलदाय विभाग की समीक्षा बैठक

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने अधिकारियों को पेयजल योजनाओं की नियमित मॉनिटरिंग करने और निर्माण कार्यां की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के फ्लोराइड प्रभावित और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना अति आवश्यक है, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में आमजन वर्षां से साफ पानी के लिए तरस रहे हैं और उन्हें राहत पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है।

श्रीमती राजे सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी (जलदाय) विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रही थीं। जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने पोकरण-फलसूंड-बालोतरा-सिवाणा परियोजना, नागौर लिफ्ट प्रोजेक्ट के दूसरे चरण, चम्बल-सवाईमाधोपुर-नादौती और चम्बल-भीलवाड़ा पेयजल परियोजना के दूसरे चरण सहित अन्य पेयजल परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति पर एक प्रस्तुतीकरण दिया। बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा की गई बजट घोषणाओं की क्रियान्विति की स्थिति की भी समीक्षा की गई।

मुख्यमंत्री ने पोकरण-फलसूंड परियोजना की प्रगति पर संतोष जाहिर किया और कहा कि इसके कार्यों में और अधिक तेजी लाई जानी चाहिए ताकि जैसलमेर और बाड़मेर के लोगां को तय समय से पहले से पेयजल उपलब्ध हो सके। प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि नागौर लिफ्ट परियोजना के तहत डीडवाना के बाद अब परबतसर तक फ्लोराइड रहित पेयजल पहुंच गया है। अगले माह के अंत तक लाडनूं, कुचामन, मकराना और डेगाना में भी इस परियोजना का पानी आ जाएगा।

श्रीमती राजे ने कहा कि चम्बल-सवाईमाधोपुर-नादौती पेयजल परियोजना का तो इस क्षेत्र के लोग लगभग 10 वर्षां से इंतजार कर रहे हैं। अब जल्द ही लोगों को इस परियोजना के माध्यम से पानी मिल सकेगा। उन्होंने खुशी जाहिर की कि चम्बल-भीलवाड़ा परियोजना के दूसरे चरण का पानी जिले के कई कस्बों और गांवों तक पहुंचने लगा है। उन्होंने कहा कि बीते चार सालों में 8 हजार से अधिक गांव-ढाणियों को सतही स्रोत से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 11 हजार 338 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

बैठक में जलदाय मंत्री श्री सुरेन्द्र गोयल, मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्री मुकेश शर्मा, प्रमुख शासन सचिव आयोजना श्री अखिल अरोरा, विभाग के मुख्य अभियन्ता सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

जयपुर, 9 जुलाई 2018