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सफलता की कहानी-सूरमा को 36 साल बाद मिले खातेदारी अधिकार ने दिया सुकून

जयपुरए 12 मई। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की पहल पर आम ग्रामीणों की भलाई के लिए चल रहा राजस्व लोक अदालत अभियान.न्याय आपके द्वार उदयपुर जिले में ग्रामीणों को दिली सुकून का अहसास करा रहा है। बरसों से प्रतीक्षित काम मिनटों में होने लगे हैं और इस वजह से गर्मी के बावजूद अभियान के प्रति ग्रामीणों का उत्साह देखने लायक है। शिविरों में कई मामले बरसों से लेकर दशकों पुराने है जिनका निस्तारण आम ग्रामीणों के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है।

इसी तरह का सुकून पाया जनजाति परिवार के सूरमा मीणा ने। उदयपुर जिले की झाड़ोल पंचायत समिति अन्तर्गत सरादीत ग्राम पंचायत मुख्यालय पर बुधवारए 11 मई को सम्पन्न राजस्व अभियान.न्याय आपके द्वार सूरमा के लिए अपने जीवन का वह सुखद दिन साबित हुआ जब उसने 36 साल बाद खातेदारी अधिकार पाया।

शिविर में झाड़ोल के उपखण्ड अधिकारी श्री त्रिलोकचन्द मीणा के समक्ष सूरमा पिता कुबेरा मीणा ने प्रार्थना पत्र पेश किया। इसमें उसने बताया कि उसकी पुश्तेनी कृषि भूमि में बड़े भाई वजा का ही नाम अंकित हैए उसका नहीं। इस पर आरटीए 1955 की धारा 88 में प्रकरण दर्ज किया गया। उपखण्ड अधिकारी ने दोनों पक्षों की सुनवाई की तथा राजीनामे के अनुसार सूरमा को उसके बड़े भाई वजा मीणा के साथ सह खातेदार घोषित करते हुए उसे खातेदारी अधिकार प्रदान किए गए।

सीएम और सरकार का आभार जताया उपखण्ड अधिकारी ने हाथों हाथ खातेदारी दस्तावेज तैयार कर सूरमा मीणा को सौंपे। खातेदारी अधिकार पाने पर हर्षाये सूरमा ने खुशी जाहिर करते हुए शिविर के प्रभारी अधिकारी एवं अन्य सभी के प्रति आभार जताया और कहा कि सरकार ने यह अभियान चलाकर ग्रामीणों की जिन्दगी बदल डाली हैए जमीन के मामलों को लेकर कई छोटी.मोटी मुश्किलें खत्म कर दी हैं।

सूरमा कहता है कि सरकार ने लोगों को राजी.खुशीए मिल.जुलकर जीने और जिन्दगी को सुकूनदायी बनाने का जो तोहफा दिया है उसके लिए वह इस अभियान को चलाने वाली मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे और राजस्थान की सरकार का खूब.खूब आभारी है। …

उदयपुर जिले के सरादीत ग्राम पंचायत मुख्यालय पर ष्न्याय आपके द्वारष् अभियान के तहत लगाए गए शिविर में श्री सूरमा मीणा ने प्रार्थना पत्र पेश किया कि उनकी पुश्तैनी कृषि भूमि में उनका नाम अंकित नहीं है केवल बड़े भाई वजा का ही नाम अंकित है । प्रकरण दर्ज करने के पश्चात उपखण्ड अधिकारी ने दोनों पक्षों की सुनवाई की तथा राजीनामा करवाया। राजीनामे के अनुसार श्री सूरमा को उनके बड़े भाई श्री वजा मीणा के साथ सह खातेदार घोषित कर खातेदारी अधिकार प्रदान किए गए। 36 साल बाद श्री सूरमा को न्याय मिला। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने यह अभियान चलाकर ग्रामीणों की जिन्दगी बदल डाली है।

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