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औषधीय खेती करके खेती को बनाया लाभकारी व्यवसाय

खेती में बढ़ती लागत और घटते मुनाफे की वजह से परेशान थे कोटा जिले की रामगंज मंडी तहसील के हरिपुरा गांव के किसान सत्यनारायण धाकड़। इन्होंने अपनी आय बढ़ाने के लिए दूसरे काम करने भी शुरू किए, लेकिन उनका तो मन खेती में ही बसता था। इसलिए उन्होंने खेती में नवाचार करने का मानस बनाया और पहुंच गए कोटा स्थित उद्यान विभाग के कार्यालय पर। इनको वहां पता चला कि वे परम्परागत खेती के साथ औषधीय खेती करें, तो मुनाफा अच्छा हो सकता है। इन्होंने अगले ही सीजन में अश्वकंद और अश्वगंधा की खेती की कृषि विज्ञान केन्द्र से जानकारी ली और तैयारी में लग गए।

सरकार द्वारा औषधीय खेती पर दिए जा रहे अनुदान से इन्होंने औषधीय खेती की शुरूआत की। इस सीजन में इन्होंने 4 बीघा में 25 क्विंटल अश्वकंद का उत्पादन किया है। इसके साथ 2 बीघा में कलौंजी की भी बुवाई की थी, जिसका 4 क्विंटल उत्पादन हुआ है। मंडी के मौजूदा भावों के मुताबिक सत्यनारायण को इस वर्ष लगभग 3 लाख रूपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। श्री सत्यनारायण ने उद्यान विभाग द्वारा देय अनुदान स्प्रिंकर लगाया, जिसकी बदौलत ये आज कम पानी में अधिक क्षेत्र की सिंचाई कर लेते हैं। सत्यनारायण का कहना है कि इससे जहां पानी की बचत हो रही है, वहीं उत्पादन भी अच्छा हो रहा है।

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