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आंवला उत्पादन और प्रसंस्करण ने दिलाई खुशहाली

बारां जिले की मांगरोल पंचायत समिति के ग्राम बालोद निवासी प्रेमशंकर गालव ने जैविक आंवला उत्पादन कर प्रसंस्करण उद्योग को संचालित कर किसानों के लिए एक नजीर पेश की है। बकौल गालव उन्होंने पहली बार वर्ष 2001 में आंवला के पौधे लगाए थे। उसके बाद विभागीय अधिकारियों के सहयोग से आंवला का जैविक उत्पादन लेने लगे। पानी के सदुपयोग के लिए ये अपने खेत पर बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से सिंचाई करते हैं। आंवला का गुणवत्ता युक्त उत्पादन हो, इसलिए ये अब जैविक खाद और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। ऐसा करने से न केवल आंवला की गुणवत्ता बढ़ी बल्कि उत्पादन भी बढ़ गया। यू तो गालव आंवला के उत्पादन से खुश थे, लेकिन उसे बेचना मुसीबत बन गया। लेकिन गालव ने हार मानने की बजाय, उद्यान विभाग से प्रसस्ंकरण इकाई लगाने के बारे में जानकारी ली। उद्यान विभाग के सहयोग से वर्ष 2015-16 में इन्होंने अपने खेत पर प्रसस्ंकरण इकाई की स्थापना कर ली।

श्री गालव बताते हैं कि आज इस प्रसंस्करण इकाई के माध्यम आंवला मुरब्बा, अचार, कैन्डी और शरबत बना रहे हैं। इन्होंने अपने खेत के बाहर ही एक आउटलेट बना दिया है, जहां इनके उत्पाद हाथों-हाथ बिक रहे हैं। इस प्रसंस्करण इकाई के लगने के बाद श्री गालव प्रत्येक वर्ष लगभग 10 से 15 लाख रूपये का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं।

बारां, 25 अप्रेल 2017

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