जयपुर, 21 फरवरी। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पहल पर महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती (24 फरवरी) के दिन प्रदेश की जेलों में सजा भुगत रहे करीब 150 बंदियों को समय से पहले रिहा किया जाएगा और करीब 3500 बंदियों की सजा का समय कम (परिहार) होगा। इनमें गंभीर बीमारियों से ग्रसित, वृद्ध एवं सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा भुगत चुके बंदी शामिल हैं।
बीमार और वृद्ध कैदियों को मिलेगा परिवार का साथ
मुख्यमंत्री के इस निर्णय से ऐसे बंदी जो कैंसर, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित हैं, उन्हें अब अपने परिवार का साथ प्राप्त हो सकेगा। इसी प्रकार निश्चित अवधि की सजा से दण्डित बंदी जो सजा का दो तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। पहली बार अपराध में दण्डित वृद्ध पुरूष जिनकी आयु 70 वर्ष तथा महिलाएं जिनकी आयु 65 वर्ष है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं। उन्हें भी समय पूर्व रिहाई से राहत मिलेगी।
कई परिवारों को मिलेगी खुशियां
श्रीमती राजे की इस पहल से ऐसे परिवारों को खुशियां मिलेंगी, जिनके परिजन आजीवन कारावास की सजा का अधिकांश हिस्सा भुगत चुके। आजीवन कारावास से दण्डित बंदी जिन्होंने 14 वर्ष की सजा विचाराधीन अवधि के साथ भुगत ली है एवं 4 वर्ष का परिहार प्राप्त कर लिया है, वे भी इस फैसले से लाभान्वित होंगे। कुछ मामलों में जिन बंदियों ने 13 वर्ष 4 माह की सजा परिहार के साथ सदाचरण पूर्वक भुगत ली है, उन्हें समय पूर्व रिहा किया जाएगा। छह माह या उससे कम अवधि की सजा से दण्डित बंदी भी रिहा होंगे।
इनकी सजा का समय हुआ कम
विभिन्न बंदियों की सजा का समय भी कम किया गया है। आजीवन एवं 10 वर्ष से अधिक की सजा से दण्डित बंदियों की सजा का समय 6 माह कम किया है। इसी प्रकार 5 से 10 वर्ष तक के कारावास से दण्डित बंदियों की सजा 4 माह एवं 2 से 5 वर्ष तक की सजा से दण्डित बंदियों की सजा में 2 माह का समय कम किया है। दो वर्ष से कम की सजा भुगत रहे बंदियों को एक माह का परिहार दिया है।
इन्हें नहीं सजा में छूट
एनडीपीएस एक्ट, आबकारी अधिनियम, पीसीपीएनडीटी एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम के तहत सजा भुगत रहे बंदियों को कोई छूट नहीं दी गई है। अभ्यस्त अपराधी, साधारण सजा एवं जुर्माने की एवज में सजा भुगत रहे बंदी एवं पिछले 2 वर्ष में जेल में खराब आचरण वाले बंदियों को भी कोई राहत नहीं मिलेगी।